मध्य प्रदेश के प्रमुख मेले (Madhya Pradesh Ke Pramukh mele)
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मध्य प्रदेश के प्रमुख मेले |
मध्य प्रदेश के प्रमुख मेले | मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध मेले |Madhya Pradesh Ke Pramukh mele | MPPSC (2023)
मध्य प्रदेश के मेलों में सांस्कृतिक विविधता दिखाई देती है | यहाँ अनेक प्रकार के मेले जैसे - पशु मेला , व्यापारिक मेला, पुस्तक मेला , किसानों के द्वारा फसल काटने पर धार्मिक एवं सामाजिक मेलों का आयोजन होता है | मध्य प्रदेश में लगभग 1,400 स्थानों पर मेले लगते हैं। म. प्र. के उज्जैन जिले में सर्वाधिक 227 मेले और होशंगाबाद जिले में न्यूनतम 13 मेले आयोजित होते हैं। मध्य प्रदेश एक कृषि प्रधान प्रदेश है यह कि 72 % जनता प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है | यही कारण है कि मध्य प्रदेश में मार्च, अप्रैल और मई में सबसे अधिक मेले लगते हैं, क्यूकि इस समय किसानों के पास कम काम होता है। जबकि बारिश का मौसम के कारण जून,जुलाई, अगस्त ओर सितंबर में नहीं के बराबर मेले लगते हैं और इस समय किसान सबसे अधिक व्यस्त होते हैं | मध्य प्रदेश के मेलों में यहाँ की लोक संस्कृति की पहचान और ग्रामीण परिवेश की झलक मिलती है | मध्य प्रदेश के प्रमुख मेले निम्नलिखित है –
1. सिंहस्थ कुंभ मेला - (Simhastha kumbh mela ujjain)
मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले में क्षिप्रा नदी के तट पर प्रति 12 वर्षों के अंतराल में यह पवित्र सिंहस्थ कुंभ मेला आयोजित होता है | देव गुरु बृहस्पति के सिंह राशि में प्रवेश के कारण यह सिंहस्थ कुम्भ मेला कहा जाता है | यह ग्रह स्थिति प्रत्येक बारह साल में आती है। इसलिए उज्जैन में लगने वाले कुंभ को सिंहस्थ कहा जाता है। यह सबसे पवित्र मेला माना जाता है। पवित्र क्षिप्रा नदी में पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती हैं और पूरे मास वैशाख पूर्णिमा स्नान तक भिन्न-भिन्न तिथियों में सम्पन्न होती है। इस मेले में देश - विदेश से लोग की अत्यंत श्रद्धा भाव से आते है। मध्य प्रदेश का उज्जैन एकमात्र स्थान है। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर और पावन क्षिप्रा नदी में कुंभ-स्नान का पुण्य प्राप्त करने असंख्य श्रद्धालु आते है |
श्रीरामलीला मेले का आयोजन मध्य प्रदेश में अनेक स्थानों पर किया जाता है | मध्य प्रदेश के ग्वालियर ,दतिया एवं विदिशा जिलों एवं अन्य स्थानों में भी रामलीला मेला का आयोजन किया जाता है |
2. श्रीरामलीला का मेला - (shri ramleela ka mela)
यह मेला म. प्र. के दतिया जिले की भांडेर तहसील में लगता है | इस मेले का आयोजन जनवरी -फरवरी महीने में किया जाता है | यह मेला 100 वर्षों से भी अधिक समय से चला आ रहा है | 2022 में ,श्रीरामलीला मेला का दतिया (भांडेर) में 117वे संस्करण का आयोजन किया गया था |
3. विदिशा का श्री रामलीला मेला - (Vidisha ka shri ramleela ka mela)
मध्य प्रदेश के विदिशा जिले का श्रीरामलीला मेला भी काफी प्रसिद्ध है | इस की स्थापना का कार्य सन 1901 में प्रारंभ हो गया था जिसे मूर्त रुप सन 1902 में दिया गया । श्रीरामलीला मेले के लिए मकर संक्रांति का समय उपयुक्त माना गया क्योंकि इस समय चरण तीर्थ मंदिर पर मेला भराता था, जिससे अधिक से अधिक श्रद्धालु गण श्रीरामलीला का लाभ ले सके। यह समय खेतिहर किसानों के लिए भी अनुकूल होता है | श्री राम लीला का लीला कार्यक्रम, यहां का लीला प्रांगण, अयोध्या लंका की स्थिति, लीला के संवादों की रचना, युद्ध प्रक्रिया, चरित्रों के अनुरूप वेशभूषा, अत्यंत प्रसिद्ध है |
4. नागा जी का मेला - (Nagaji ka mela)
नागा जी का मेला म. प्र. के मुरैना जिले के पोरसा गांव में आयोजित होता है | यह मेला पशुओं की खरीद बिक्री के लिए प्रसिद्ध है | अकबर के समकालीन संत नागा जी की स्मृति में यह मेला लगता है | यह मेला एक माह तक चलता है। पहले यहाँ बंदर ख़रीदे एवं बेचे जाते थे और अब यहां सभी पालतू जानवर ख़रीदे - बेचे जाते हैं।
5.पीर बुधान का मेला -(peer budhan ka mela)
म. प्र. के शिवपुरी जिले के सांवरा क्षेत्र में यह मेला 250 सालों से लग रहा है। शिवपुरी में मुस्लिम संत पीर बुधन का यहाँ मकबरा है। यह अगस्त-सितंबर में यह मेला लगता है।
6. हीरा भूमिया मेला - (Heera bhumiya mela)
यह मेला म. प्र. के ग्वालियर जिले में आयोजित किया जाया है | हीरामन बाबा का नाम ग्वालियर और इसके आस-पास के क्षेत्रों में काफी प्रसिद्ध है। यहाँ ऐसी मान्यता है कि हीरामन बाबा के आशीर्वाद से महिलाओं का बांझपन दूर होता है । यह मेला कई सौ वर्षों पुराना है और अगस्त और सितंबर के महीने में आयोजित किया जाता है।
7. तेजाजी का मेला - (Tejaji ka mela)
मध्य प्रदेश के गुना जिले के भामावड़ तहसील में पिछले 70 वर्षों से तेजाजी का मेला लगता आ रहा है। तेजाजी सच्चे इंसान थे। कहा जाता है कि तेजाजी पास एक ऐसी शक्ति थी जो शरीर से सांप का जहर उतार देती थी। तेजाजी की जयंती पर यह मेला आयोजित होता है।
8. माँ जागेश्वरी देवी का मेला - (Maa jageswari devi ka mela)
म. प्र. के अशोक नगर जिले के चंदेरी नामक स्थान में यह मेला लगता है | चंदेरी के राजा माँ जागेश्वरी देवी के भक्त थे। राजा को कुष्ठ रोग था। कहा जाता है कि देवी ने राजा से कहा था कि वे 15 दिन बाद देवी स्थान पर आए किंतु लेकिन राजा तीसरे दिन ही वहाँ आ गये। उस समय देवी का केवल मस्तक ही दिखाई देना शुरू हुआ था। राजा का कुष्ठ रोग ठीक हो गया और तभी से उस स्थान पर मेला लगना शुरू हो गया।
9. महामृत्यंजना का मेला - (Mahamrityunjay ka mela)
म. प्र. के रीवा जिले में महामृत्यंजना का मंदिर स्थित है | वहीं प्रतिवर्ष महामृत्यंजना का मेला लगता है | हर वर्ष बसंत पंचमी और शिवरात्रि दिन लगता है।
10. महाशिवरात्रि का मेला - (Mahashivratri ka mela)
मध्य प्रदेश के अनूपपुर जिले में अमरकंटक में शिवरात्रि मेले का आयोजन होता है | महाशिवरात्रि पर्व के पवित्र अवसर पर अमरकंटक नगरी में आठ दिवसीय मेला का आयोजन किया जाता है| मध्य प्रदेश , छत्तीसगढ़ एवं अन्य राज्य से लोग अमरकंटक नगर में आते है एवं उत्सव का आनंद लेते है |
11. चंडी देवी का मेला - (Chandi devi ka mela)
म. प्र. के सीधी जिले के धीधरा नामक स्थान पर यह मेला आयोजित होता है | चंडी देवी को माता सरस्वती का अवतार माना जाता है। यहाँ पर प्रतिवर्ष मार्च-अप्रैल में मेला लगता है।
12. काना बाबा का मेला / कान्हा बाबा का मेला -(Kanha baba ka mela)
मध्य प्रदेश के हरदा जिले के सोढलपुर नामक गांव में यह मेला लगता है | काना बाबा की समाधि के पास ही इस मेले का आयोजन होता है।
13. कालूजी महाराज का मेला - (Kaluji Maharaj ka mela)
म. प्र. के खरगोन ( पश्चिमी निमाड़ ) के पिपल्या खुर्द में कालूजी महाराज का मेले का आयोजन होता है | एक महीने तक यह मेला लगता है। यह कहा जाता है कि 200 वर्षों पूर्व कालूजी महाराज यहाँ पर अपनी शक्ति से मनुष्यों एवं पशुओं की बीमारी ठीक करते थे।
14. मठ घोघरा का मेला - (Math ghogra ka mela)
मठ घोघरा का मेला म. प्र. के सिवनी जिले के मौरंथन नामक स्थान पर शिवरात्रि को लगता है जो15 दिवसो तक चलता है। यहाँ पर प्राकृतिक झील और गुफा भी है| मठ घोघरा बहुत ही रमणीक स्थल है। शासन यह पर्यटन स्थल के लिए स्वीकृत हो गया है। इस स्थल का पौराणिक महत्व भी है। मान्यता के अनुसार शिव पुराण में जब भगवान शंकर ने भस्मासुर को वरदान दिया था कि जिसके उपर वह हाथ रख देगा वह भस्म हो जाएगा और भस्मासुर ने वरदान का प्रयोग भगवन शिव पर ही करना चाहा तो भगवान भागते हुए मठ घोघरा में आकर विश्राम करने लगे थे।
15. सिंगाजी का मेला - (Singaji ka mela)
संत सिंगाजी एक महान संत थे। म. प्र. के खण्डवा ( पश्चिमी निमाड़ ) के पिपल्या गांव में अगस्त-सितंबर माह में यह मेला लगता है जो एक सप्ताह तक चलता है। संत सिंगाजी को निमाड़ का कबीर कहा जाता है |
16. बरमान का मेला - (Barman ka mela)
म. प्र. के नरसिंहपुर जिले के सुप्रसिद्ध ब्रह्मण घाट एवं रेतघाट पर मेले का आयोजन होता है | हर साल जनवरी में मकर संक्रांति के दिन 13 दिवसीय मेले का आयोजन होता है | यह घाट नर्मदा एवं वाराही नदियों के बीच स्थित है | उत्सव का प्रमुख दिन मकर संक्रांति का होता है और इस दिन सबसे अधिक लोग यहा आते है | 2 प्रमुख घाटों के कारण बरमान एक पवित्र स्थान है - 1. ब्राह्मण घाट 2. रेटघाट |
17. गढ़ाकोटा का रहस मेला - (Gadakota ka rahas mela)
मध्य प्रदेश के सागर जिले की गढ़ाकोटा तहसील में मनाया जाता है | यह गढ़ाकोटा में प्रतिवर्ष फरवरी में बसंत पंचमी के दिन से एक माह तक आयोजित होता है जो सन् 1758 में मर्दन सिंह नामक राजा के गढ़ाकोटा का उत्तराधिकारी बनने के बाद से लगता आ रहा है | महाराजा मर्दन सिंह जूदेव के राज्यरोहण की स्मृति में प्रतिवर्ष गढ़ाकोटा के रहस मेले का आयोजन होता है |
18. उल्दन का मेला - (Uldan ka mela)
म. प्र. के सागर जिले के ग्राम उल्दन के निकट धसान और भांडेर नदियों के संगम पर उल्दन का मेला लगता है | यह मेला मकर संक्राति के दिन शिव-पार्वती के मंदिर के पास आयोजित होता है |
19. बनेनी घाट मेला - (Baneni ghat ka mela)
म. प्र. के सागर जिले की राहतगढ़ में बीना नदी के तट पर भगवान शिव जी का अत्यंत प्राचीन मंदिर है। इसी के निकट घाट पर प्रति वर्ष शिवरात्रि का मेला लगता है | इस घाट को बनेनी घाट कहते है। शीतला माता की प्रतिमा भी बहुत अद्भुत लगती है। यहां पर बहुत से भक्त शीतला माता और शंकर जी के दर्शन करने के लिए आते हैं। शिवजी के मंदिर के पीछे बीना नदी का सुंदर दृश्य देखने के लिए मिलता है।
20. सानोधा का मेला - (Sanodha ka mela)
मध्य प्रदेश के सागर जिले के ग्राम सानौधा में मकर संक्रांति पर्व पर 10 दिवसीय झूला पुल मेला लगता है। इसे सानोधा का मेला के नाम से भी जाना जाता है | सागर जबलपुर मार्ग पर स्थित सानोधा में एक छोटा सा किला है जिसे सानोधा का किला कहते है | सागर में मकर संक्रांति पर बेबस नदी के किनारे धार्मिक महत्व का मेला लगता है। अभी यहाँ पर झूला पुल के अवशेष शेष हैं। जिन्हें नदी के दोनों किनारों पर देखा जा सकता है ।
21. भापेल का मेला - (Bhapel ka mela)
म. प्र. के सागर जिले के भापेल में भगवान शिव का मंदिर है, जिसे फूलनाथ मंदिर के नाम से भी जाता है। प्रतिवर्ष दीपावली के उत्सव के बाद यहाँ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर यह मेला लगता है ।
22. देवरी का मेला - (Devri ka mela)
म. प्र. के सागर जिले से करीब 65 किमी दूर स्थित देवरी में देव श्रीखंडेराव मंदिर में देवरी का मेला लगता है | यह मेला अगहन माह की चंपा षष्ठी तिथि से प्रारम्भ होकर पूर्णिमा तक चलता है | यहाँ का प्राचीन श्रीखंडेराव मंदिर वास्तुकला की एक अद्भुत मिसाल है। इस मंदिर का निर्माण 15 वी से 16 वी शताब्दी के बीच हुआ है | मेले में सागर और अन्य जिलो के भक्त भी पहुंचते हैं। मेले में बहुत सी दुकाने और झूले लगते हैं।
23. मऊ सहानिया का मेला - (Mau sahaniya ka mela)
म. प्र. के छत्तरपुर जिले के मऊ सहानिया ग्राम के पास जगत सागर तालाब के पास ये मेला आयोजित होता है | ये मकर संक्रांति के दिन लगता है | यहाँ मऊ सहानिया ग्राम में स्थित शनि मंदिर छतरपुर का एक प्रसिद्ध मंदिर है।
24. कुम्हेण का मेला - (Kumhen ka mela)
म. प्र. के छत्तरपुर जिले के महाराजपुर के निकट कुम्हण नदी के समीप लगता है | यह मेला मकर संक्रांति के दिन लगता है जो एक सप्ताह तक चलता है |
25. चरण पादुका का मेला - (Charan paduka ka mela)
म. प्र. के छत्तरपुर जिले के चरण पादुका में भी मकर संक्राति के पर्व पर इस मेले का आयोजन किया जाता है | इस मेले को शहीद मेला भी कहते है |
26. जटाशंकर तीर्थ का मेला - (Jatashankar tirtha ka mela)
म. प्र. के छत्तरपुर जिले में जटाशंकर नामक तीर्थ स्थल हर अमावस्या को यह मेला लगता है |
27. जटाशंकर धाम का मेला - (Jatashankar dham ka mela)
म. प्र. के दमोह में भी जटाशंकर धाम में सबसे बड़ा मेला मकर संक्रांति के पर्व पर लगता है जो तीन दिनों तक चलता है | यह मेला करीब 200 वर्षो से आयोजित हो रहा है मकर संक्रांति के महत्पूर्ण दिवस पर भक्त भोलेनाथ की पूजा कर अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए प्रार्थना करते है |
28. अम्बार माता का मेला - (Ambar mata ka mela)
म. प्र. के बुंदेलखंड के छत्तरपुर जिले में अम्बार माता का मेला आयोजित होता है | अबार माता मेले में राई नृत्य प्रसिद्ध है। इसे देखने के लिए दूर से लोग आते हैं | राई नृत्य के लिए यह स्थान काफी प्रसिद्ध है। इसके साथ ही मेले में मनोरंजन के लिए झूला, सर्कस, सहित अनेकों दुकानें लगी हुईं हैं। नवरात्रि के दिनों में दूर-दूर से यहां श्रद्धालु मां के दर्शन के लिए आते हैं. यहां पर प्रत्येक वैशाख माह में एक विशाल मेला लगता है जो 15 दिनों तक चलता है |
29. जल विहार मेला - (Jal vihar ka mela)
मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले में अक्टूबर - नवम्बर महिने में दशहरा और दीपावली के बीच पन्द्रह दिनो तक जलविहार मेले का आयोजन होता है। छतरपुर में जल विहार मेले में सैलानियों की बहुत भीड़ उमड़ती है । मेले में अधिकांश दुकानें विशेष रूप से महिलाओं के लिए सजाई जाती हैं। इस मेले को महिलाओं के लिए विशेष तौर पर पारंपरिक रूप से सजाया जाता है। खरीदारी के लिए भी महिलाएं ही अधिक संख्या में आती हैं। मेले में बच्चो के मनोरंजन के लिए अनेक प्रकार के झूले एवं मौत का कुंवा जैसे अन्य कई करतब भी दिखाए जाते है ।
30. राम-जानकी का मेला - (Ram janki ka mela)
म. प्र. के छतरपुर में बिजावर का जानकी मेला क्षेत्र का काफी प्रसिद्ध और प्राचीन मेला है। पूर्व में इस मेले में बिजावर नरेश द्वारा राम जानकी विवाह का आयोजन किया जाता था |
31. नांद चांद का मेला - (Nandchand ka mela)
म. प्र. के पन्ना जिले के ग्राम बगवार के निकट नांदचाँद का मेला आयोजित किया जाता है। इस मेला की पत्थरो की शिल्पकला काफी प्रसिद्ध है। यह मेला मकर संक्रांति पर सात दिनों तक चलता है | यहाँ भगवान शंकर के दर्शनार्थ हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। यह मेला लोगो की धार्मिक आस्था के साथ जुड़ा है और साथ ही लोग यहाँ मनोरंजन के लिए भी जाते है |
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32. कुआं ताल का मेला - (Kuaa tal ka mela)
म. प्र. के पन्ना जिले के कुंआ ताल में आयोजित होता है | पवई विकासखण्ड के अंतर्गत आने वाले ग्राम बनौली की प्रसिद्ध माँ कंकाली देवी के स्थान में हर वर्ष नवरात्रि पर आयोजित होने वाले इस प्राचीन मेले का अपना महत्व है। यहाँ कांगली देवी का मंदिर है। यहाँ देवी के चमत्कारों से लाभान्वित होने वाले श्रद्धालु बड़ी संख्या में पहुंचते है। यह मेला चैत्र नवरात्रि का पर्व समापन हो जाने के अगले दिन दसवीं तिथि से प्रारंभ होकर दस दिन तक चलता है |
33. कलेही देवी का मेला - (Kalehi devi ka mela)
म. प्र. के पन्ना जिले के कलेही देवी के मंदिर पर अप्रैल-मई माह में यह मेला आयोजित होता है। यह मेला भी पंद्रह दिनों तक चलता है। यहां पहुंचने वाले श्रद्धालु कलेही देवी के दर्शन के लिए आते हैं। पवई में माता कलेही के दरबार में विशेष पूजा-अर्चना के साथ मेले का आरम्भ होता है |
34. जनकपुर का मेला - (Janakpur ka mela)
म. प्र. के पन्ना से करीब पांच किलोमीटर की दूरी पर स्थित पन्ना पहाड़ी खेड़ा मार्ग पर ग्राम जनकपुर में इस मेले का आयोजन होता है जो चार दिनों तक चलता है | रथयात्रा के अवसर पर यहां चार दिनों तक चलने वाला यह मेला लगता है। जगदीश स्वामी मंदिर से भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकलती है जो ग्राम जनकपुर तक जाती है। यह मेला लोगो की धार्मिक आस्था का प्रतीक है | जगन्नाथ स्वामी मंदिर में महोत्सव का प्रारम्भ सुबह भगवान की स्नानयात्रा के साथ होता है। रथयात्रा के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्तजन यहां पहुंचते हैं। इस मेले का समापन भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा लौटने के बाद होता है।
35. प्राणनाथ का शरद समैया मेला - (Prannath ka sharad samaiya mela)
मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में प्राणनाथ का शरद समैया मेला , प्राणनाथ मंदिर परिसर में भरता है | यह मेला महाराजा छत्रसाल के गुरु और प्रणामी संप्रदाय के प्रणेता स्वामी प्राणनाथ की स्मृति में शरद पूर्णिमा के अवसर पर आयोजित किया जाता है | देशभर से प्रणामी संप्रदाय के अनुयायी इस मेले में भाग लेते हैं इस मेले में प्राणनाथ जी की शोभायात्रा और झांकियां भी निकलती हैं।
36. ओरछा का मेला - (Orchha ka mela)
मध्य प्रदेश के निवाड़ी जिले में ओरछा में रामनवमी के अवसर पर यह मेला लगता है | ओरछा भगवान प्रभु श्रीराम की नगरी है। यहां भगवान श्रीराम को राजा के रुप में पूजा जाता है | इसीलिए ओरछा में भगवान श्रीराम से जुड़े विभिन्न प्रसंगों पर कई मेले लगते हैं। । राम विवाह मेले का आयोजन अगहन की शुक्ल पंचमी तिथि को होता है | ओरछा में श्रावण माह की तीज के अवसर पर भव्य मेला लगता है जो दो दिन तक चलता है।
37. कुण्डेश्वर का मेला - (Kundeshwer ka mela)
म. प्र. के टीकमगढ़ जिले में कुण्डेश्वर का मेला आयोजित होता है | कुंडेश्वर गाँव में भगवान शिव का प्राचीन मंदिर, जमड़ार नदी के किनारे स्थित है | यहां मेलों में टीकमगढ़ जिले के आसपास के जिलों ललितपुर, झांसी, छतरपुर सागर एवं दमोह से भी लोग आते हैं। टीकमगढ़ में मकर संक्रांति, शिवरात्रि एवं डोल ग्यारस पर्व पर मेले लगते हैं, जो कई दिनों तक चलते हैं।
38. बड़े बाबा का मेला - (Bade baba ka mela)
म. प्र. के दमोह का कुण्डलपुर , जैन धर्मावलम्बियो का पवित्र तीर्थ स्थल है | यहा प्रतिवर्ष माघ माह में बड़े बाबा का मेला लगता है | 1775 में महाराजा छत्रसाल द्वारा जब मुगल सम्राट औरंगजेब से युद्ध में अपना राज्य वापस जीत लिया उसी खुशी में यहां मेला भरना शुरू हुआ। महाराजा छत्रसाल ने अपने विपत्ति के समय बड़े बाबा के चरणों में आश्रय लिया।
39. जागेश्वरी नाथ धाम का मेला - (Jageshwar nath dham ka mela)
म. प्र. के दमोह जिले के बांदकपुर में देव श्री जागेश्वरी नाथ धाम का मेला लगता है | यहा प्राचीन मंदिर में भगवन शिव का स्वयंभू शिवलिंग है | ये महर्षि याज्ञवल्क्य की तपोभूमि है | यहाँ बसंत पंचमी और श्रावण माह में भी मेला लगता है |
40. गोटमार मेला - (Gotmar ka mela)
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले से पैंसठ किलोमीटर दूर, पांढुर्णा नामक स्थान में गोटमार मेला लगता है | यह अनूठा मेला प्रति वर्ष भाद्रपद अमावस्या के दिन जाम नदी के तट पर मनाया जाता है।
41. भुजारिया मेला - (Bhujariya ka mela)
42. म. प्र. के अन्य प्रमुख मेले और जिले -
बडोनी का मेला - दतिया जिले में
रतनगढ़ का मेला - दतिया जिले में
सोनागिरि का मेला -दतिया जिले में
मान्धाता का मेला - खंडवा जिले में
रामजी बाबा का मेला - नर्मदापुरम में
धामोनी उर्स - सागर में
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