मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ - MPPSC (2023) | MPGK


मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ |


हमारे भारत के इतिहास में अनेक ऐसे साहित्यकार हुए है जिन्होंने अपनी अपने क्रान्तिकारी विचारों को एवं कल्याणकारी सोच को समाज के हित के लिए अपनी साहित्यिक रचनाओं के माध्यम से व्यक्त किया है | साहित्य के अनेक रूपों जैसे नाटक , एकांकी , उपन्यास , कहानियों , व्यंग के माध्यम से साहित्य जगत में अपना अमूल्य योगदान दिया है | साहित्य के द्वारा किसी देश की संस्कृति के बारे में जानकारी मिलती है | किसी भी काल के साहित्य से उस समय के मानव जीवन , रहन - सहन, वेशभूषा, भाषा एवं मानव गतिविधियों के बारे में पता चलता है | साहित्य हमें इतिहास , संस्कृति, एवं तात्कालीन समय की अर्थव्यवस्था का विवरण उपलब्ध करवाता है | जैसे गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित रामचरितमानस अवधी भाषा में , प्राचीन कालीन साहित्य जैसे वेद ,उपनिषद संस्कृत भाषा में तथा उस समय की सामाजिक व्यवस्था के बारे में भी जानकारी मिलती है | चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र से उस समय के मौर्यकालीन मानव जीवन एवं सामाजिक व्यवस्था के बारे में पता चलता है | इस प्रकार साहित्य का समाज के ज्ञानवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान है | आज इस लेख में हम आपको मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ के बारे में बतलाएँगे | 





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मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ | मध्य प्रदेश के प्रमुख रचनाकार एवं उनकी कृतियाँ | Madhya Pradesh Ke Pramukh Sahityakar avan unki Rachanaye

मध्य प्रदेश में साहित्य सृजन की परम्परा प्राचीन काल से ही चली आ रही है | मध्य प्रदेश प्राचीन काल से ही प्रमुख साहित्यकारो जैसे महाकवि कालिदास , भवभूति , बाणभट्ट, भृतहरि की जन्मस्थली या कर्मस्थली रहा है | वहीं दूसरी ओर आधुनिक काल के साहित्यकारो जैसे पंडित माखनलाल चतुर्वेदी तथा सुभद्रा कुमारी चौहान जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा वाले कवि और साहित्यकारो की भी कर्मभूमि रहा है | जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से स्वतंत्रता के समय जनमानस के मन में देशप्रेम और राष्ट्रभक्ति की भावना भरने वाली रचनाओं के माध्यम से समाज में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई | मध्य प्रदेश , हिंदी भाषा साहित्य में अपना अमूल्य योगदान देने वाले आचार्य नंददुलारे बाजपाई की भी कर्मस्थली रहा है | मध्य प्रदेश के व्यंग रचनाकारों में हरिशंकर परसाई एवं शरद जोशी प्रमुख है |
मध्य प्रदेश के प्रमुख साहित्यकार एवं उनकी रचनाएँ के कालानुक्रम के आधार पर मुख्यतः 3 भागो में बांटा जा सकता है | 


 1. मध्य प्रदेश के प्रमुख प्राचीन साहित्यकार Madhya Pradesh ke Pramukh Prachin Sahityakar





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1. महाकवि कालिदास -

 महाकवि कालिदास संस्कृत के महान विद्वान् कवि और नाटककार थे | महाकवि कालिदास की गणना संसार के श्रेष्ठतम कवियों में की जाती है | वे उज्जैन के गुप्तकालीन सम्राट विक्रमादित्य के नौ रत्नों में से एक थे | कालिदास के बचपन का नाम रामबोला था | उनका विवाह विद्योत्तमा नामक राजकुमारी के साथ हुआ था | कालिदास , माँ काली के परम भक्त थे और उन्ही के आशीर्वाद से कालिदास ने अद्धभुत साहित्यिक रचनाएँ की | कालिदास की रचनाएँ मुख्यतः प्रकृति प्रधान एवं श्रृंगार रस प्रधान होती है | उन्होंने अपनी रचनाओं में प्रकृति के सौंदर्य का अद्धभुत चित्रण किया है | भारतीय साहित्य के क्षेत्र में महाकवि कालिदास का योगदान अमूल्य है | कालिदास, राष्ट्र की समग्र चेतना को स्वर देने वाले कवि माने जाते है |

दो महाकाव्य - रघुवंशम और कुमारसम्भवम् ।

तीन नाटक - मालविकाग्निमित्र, अभिज्ञान शाकुन्तलम एवं विक्रमोवंर्शीय ।

दो खण्ड काव्य - ऋतुसंहार और मेघदूत ।

अन्य रचनाएँ - श्रुतबोधं , श्रृंगारतिलकम , श्रृंगार रसाशतम , सेतुकाव्यम , पुष्पबाण विलासम, श्यामा दण्डकम , ज्योतिर्विधाभरणं आदि |

रघुवंशम् (महाकाव्य) – रघुवंशम् महाकवि कालिदास द्वारा रचित प्रसिद्ध संस्कृत महाकाव्य है। इस महाकाव्य में कालिदास ने महान रघुवंशीय राजाओं श्री दिलीप, श्री रघु, श्री दशरथ, श्रीराम, श्री कुश और श्री अतिथि का विशेष वर्णन किया गया है  जिन्होंने समाज में उच्च आदर्श स्थापित किए |

कुमारसम्भवम् (महाकाव्य) - कुमारसम्भवम् महाकवि कालिदास द्वारा रचित महाकाव्य है | इसमें भगवन शिव एवं माता पार्वती के पुत्र कुमार कार्तिकेय के जन्म की कथा है | कालिदास के इस महाकाव्य की गणना संस्कृत के पंच महाकाव्यों में की जाती है।

मालविकाग्निमित्र (नाटक) - मालविकाग्निमित्र कालिदास की प्रथम रचना मानी जाती है। जो शुंग वंशीय शासक अग्निमित्र और मालविका की प्रेम कहानी पर आधारित नाटक है।

अभिज्ञान शाकुन्तलम् (नाटक) - यह महाकवि कालिदास की सबसे प्रसिद्ध कृति है | इसमें महाभारतकालीन राजा दुष्यंत और शकुंतला की प्रेम कथा का वर्णन किया गया है | महाकवि कालिदास की यह सर्वाधिक लोकप्रिय रचना है |

विक्रमोर्वशीयम् (नाटक) - विक्रमोर्वशीयम् कालिदास का विख्यात नाटक है। यह पांच अंकों का नाटक है। इसमें महाकवि कालिदास जी ने राजा पुरुरवा तथा अप्सरा उर्वशी की प्रणय कथा का वर्णन है। विक्रमोर्वशीयम् में श्रृंगार रस प्रधान रचना है |


ऋतुसंहार (खण्ड काव्य) - ऋतुसंहार अर्थात ऋतुओ का समूह | यह कालिदास जी की प्रथम काव्य रचना मानी जाती है | ऋतुसंहार में कालिदास जी ने ग्रीष्म से लेकर वसन्त तक छह ऋतुओ का वर्णन किया है |

मेघदूतम (खण्ड काव्य) - महाकवि कालिदास की रचनाओ में प्रकृति का महत्वपूर्ण स्थान है | मेघदूतम एक दूतकाव्य है जिसमे एक यक्ष की कथा है जिसे कुबेर अलकापुरी से निष्कासित कर देता है। तब यक्ष अपनी प्रेमिका को मेघो के माध्यम से अपनी विरह वेदना का सन्देश भेजता है | इसमें कालिदास की कल्पना ने प्रकृति के साथ मिलकर एक अनन्य कृति की रचना की है | मेघदूतम 2 भागो में है - पूर्वमेघ और उत्तरमेघ | मेघदूतम में कालिदास जी ने मध्य प्रदेश के अमरकंटक (आम्रकूट पर्वत ) के प्राकृतिक सौंदर्य का चित्रण किया है |



 2. कवि भर्तृहरि -


भर्तृहरि उज्जैयनी के प्रतापी राजा तथा चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के बड़े भाई थे। भर्तृहरि एक महान संस्कृत कवि एवं नीतिकार थे | ऐसा कहा जाता है कि भर्तृहरि ने अपनी प्रिय पत्नी रानी पिंगला के द्वारा छल किये जाने पर उनके के मन में वैराग्य जागा | सांसारिक बंधनो से मुक्त होकर भर्तृहरि अपना राजपाठ और सिंहासन अपने छोटे भाई चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य को सौंप दिया और सन्यासी बन गये । इन्होंने गुरु गोरखनाथ का शिष्य बनकर वैराग्य ले लिया था | भरथरी इनका एक लोकप्रचलित नाम है। वे उज्जैन की एक गुफा में तपस्या करने लगे जहां उन्होंने 12 वर्षो तक तपस्या की | यही गुफा आज उज्जैन में "भर्तृहरि की गुफा" के नाम से प्रसिद्ध है और उज्जैन के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से है | भर्तृहरि ने अपनी तप -साधना उ.प्र. के चुनार में की और राजस्थान के सरिस्का में समाधि ली।

कवि भर्तृहरि की प्रमुख रचनाएँ -

1. नीतिशतक - नीतिशतक में भर्तृहरि ने अपने अनुभवों के आधार पर तथा लोक व्यवहार सम्बन्धी श्लोकों की रचना की है। जिसे शतकत्रय कहा जाता है | इसमें 3 रचनाएँ आती हैं- 1. नीति शतक , 2. श्रृंगार शतक और 3. वैराग्य शतक |


2. अन्य रचनाओं में (1) वाक्यपदीय (2) वाक्यपदीय वृत्ति (3) भागवृत्ति (4) महाभाष्य त्रिपदी (5) महाभाष्य दीपिका (6) शब्द धातु समीक्षा (7) मीमांसा सूत्र वृत्ति (8) वेदान्त सूत्र वृत्ति आदि प्रमुख रचनाएँ है |




 3. महाकवि भवभूति - 

 महाकवि भवभूति 7 वी सदी के संस्कृत के महान कवि एवं प्रसिद्ध नाटककार थे | उनकी रचना महावीरचरितम से ज्ञात होता है कि वे विदर्भ राज्य के पद्मपुर नामक नगर के निवासी थे | भवभूति कन्नौज (कान्यकुब्ज) शासक यशोवर्मन के दरबार के प्रतिष्ठित विद्वान सभापंडित थे। उनके पिता का नाम नीलकंठ एवं माता का नाम जतूकर्णी था | साहित्य जगत में वे श्रीकंठ के नाम से प्रसिद्ध है |


प्रमुख रचनाएँ - 1. मालती माधव, 2. महावीरचरित्रम, 3. उत्तर रामचरितम

1. मालती माधव - यह रचना मालती और माधव की प्रेम कथा है | जो एक काल्पनिक कथा है जिसमे प्रकृति का सुन्दर चित्रण किया गया है |

2. महावीरचरित्रम - यह एक वीर रस प्रधान नाटक है | जिसमे श्रीराम के विवाह से लेकर उनके राज्य अभिषेक तक की कथा है |

3. उत्तर रामचरितम - यह संस्कृत का प्रथम दुःखान्त नाटक है। भवभूति की यह रचना करुण रस प्रधान है जिसमे सीतानिर्वासन की कथा एवं श्रीराम के राज्य अभिषेक के बाद की कथा है |




 4. बाणभट्ट -  

बाणभट्ट 7 वी शताब्दी के प्रसिद्ध गद्यकार और कवि थे | बाणभट्ट की प्रतिभा से प्रभावित होकर , हर्षवर्धन ने दरबार में सभापण्डित एवं राजकवि के पद पर नियुक्त किया | बाणभट्ट ने दो प्रमुख ग्रंथो की रचना की - हर्षचरितम एवं कादंबरी | ये दोनों ग्रन्थ संस्कृत साहित्य के महत्वपूर्ण ग्रन्थ माने जाते है | बाणभट्ट की रचनाओं में उन्होंने अपनी प्रतिभा, व्यापक ज्ञान से प्रकृति का सजीव चित्रण किया है |  बाणभट्ट ने अपनी रचनाओ में अनुप्रास , उत्प्रेक्षा, यमक , दीपक, विरोधाभास अलंकारों का प्रयोग किया गया है |  विषय की आवश्यकता अनुसार भाषा का प्रयोग करना गद्यकवि बाणभट्ट की विशेषता है |

 

बाणभट्ट की प्रमुख रचनाएँ - हर्षचरितम और कादम्बरी , चंडीशतक, शिवशतक , शिवस्तुति , मुकुटतदितक आदि प्रमुख रचनाएँ है |

 1. हर्षचरितम - हर्षचरितम संस्कृत में बाणभट्ट द्वारा रचित एक ग्रन्थ है | इसमें भारतीय राजा हर्षवर्धन का जीवन चरित वर्णित है | हर्षवर्धन (590-647 ई.) के शासनकाल की एवं उस समय के समाजिक स्थिति अन्य राजाओ की जानकारी प्राप्त होती है | बाणभट्ट ने हर्ष की सेना का ,राज्य सभा का तथा ग्रामो आदि का सुन्दर वर्णन किया है |

 2. कादम्बरी - कादम्बरी बाणभट्ट द्वारा रचित संस्कृत साहित्य का प्रसिद्ध उपन्यास है। यह विश्व का प्रथम उपन्यास कहा जाता है | यह ग्रन्थ बाणभट्ट के जीवनकाल में पूरा नहीं हो सका। उनकी मृत्यु के बाद उनके पुत्र भूषणभट्ट अथवा पुलिनभट्ट ने इस ग्रन्थ को पूरा किया |

 3. चंडीशतक - इसमें दुर्गा माहात्म्य पर आधारित माँ दुर्गा के स्त्रोत है |



 

 2. मध्य प्रदेश के प्रमुख मध्यकालीन साहित्यकार Madhya Pradesh Ke Pramukh Madhya Kalin Sahityakar

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1. महाकवि भूषण - 

महाकवि भूषण हिंदी साहित्य में वीर रस के अद्वितीय कवि है | उनकी गणना रीतिकाल के प्रमुख हिंदी कवियों में की जाती है | महाकवि भूषण का जन्म 1613 में उत्तर प्रदेश के कानपूर के टिकवापुर गांव में हुआ था | " भूषण " की उपाधि उन्हें चित्रकूट के राजा हृदयराम के पुत्र रुद्रशाह ने दी थी | भूषण बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे | उनकी कविताएँ ब्रज भाषा में है जिसमे उन्होंने वीर रस एवं ओजपूर्ण शैली का प्रयोग किया है | मुहावरों एवं लोकोक्तियों का भी प्रयोग किया है | उन्होंने अपनी काव्य रचनाए मुक्तक शैली में की है | महाकवि भूषण का सम्बन्ध अपने समकालीन दो राजाओं से रहा - हिन्दवी स्वराज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज और पन्ना नरेश महाराज छत्रसाल |


इनके प्रमुख ग्रन्थ है - शिवराजभूषण, शिवाबावनी, छत्रसालदशक, भूषण उल्लास, भूषण हजारा, दूषण उल्लास | जिसमे से शिवराजभूषण, शिवाबावनी, छत्रसालदशक उपलब्ध है |


 1. शिवा बावनी - भूषण वीर रस के श्रेष्ठतम कवियों में से है | शिवा बावनी में 52 कविताओं में शिवजी की वीरता और पराक्रम का वर्णन किया है | युद्ध का सजीव चित्रण , रण भूमि में शूर वीरो का पराक्रम का स्वाभाविक वर्णन किया है | 

 2. शिवराजभूषण - छत्रपति शिवाजी महाराज के कीर्ति एवं शौर्य -साहस को प्रभावशाली रूप से प्रस्तुत किया है |

 3. छत्रसालदशक - पन्ना नरेश महाराज छत्रसाल की वीरता और पराक्रम का ओजमयी भाषा में वर्णन मिलता है |

 

 2.आचार्य केशव - 

आचार्य केशव हिंदी साहित्य के रीतिकाल के प्रमुख कवि है | आचार्य केशव का जन्म 1555 में ओरछा ,म. प्र. में एक ब्राह्मण परिपवर में हुआ था | वे संस्कृत भाषा के विद्वान् थे | केशव मुख्यतः शृंगार रस और ब्रज भाषा के कवि थे परन्तु उनकी रचनाओ में कहीं कहीं बुंदेलखण्डी और अवधी भाषा का प्रयोग भी मिलता है आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने इन्हे "कठिन काव्य का प्रेत" माना है | वे ओरछा नरेश मधुकर शाह एवं उनके पुत्र राजा इंद्रजीत सिंह के दरबारी कवि थे |


आचार्य केशव की प्रमुख रचनाएँ -  विज्ञान गीता ( वैराग्य भाव का वर्णन ), रसिक प्रिया और कवि प्रिया (दोनो मुक्तक काव्य ), रामचन्द्रिका- सर्वाधिक प्रसिद्ध महाकाव्य और विरसिंहदेव चरित (दोनों प्रबन्ध काव्य ), रतन बावनी, जहाँगीर-रसचन्द्रिका, नख-सिख वर्णन, राम अलंकृत मंजरी आदि ।




3. कवि पद्माकर - 

कवि पद्माकर का जन्म मध्य प्रदेश के सागर जिले के 1753 में तैलंग ब्राह्मण परिवेर में हुआ | पद्माकर का मूल नाम प्यारेलाल था। कवि पद्माकर ने अपनी रचनाओं में शृंगार ,प्रकृति चित्रण , भक्ति और प्रेम का जीवंत चित्रण किया | कवि पद्माकर की भाषा काव्यमय होने के साथ साथ प्रवाहपूर्ण भी है | वे अनेक राजाओ के दरबार में रहे जिनमे सतारा , ग्वालियर एवं जयपुर प्रमुख है | जयपुर के राजा सवाई प्रताप सिंह ने उन्हें ' कवि शिरोमणि ' की उपाधि दी |

कवि पद्माकर द्वारा रचित ग्रन्थ -
"हिम्मत बहादुर-विरूदावली" पहली रचना है जो वीर रस में लिखी गयी। जयपुर के महाराजा जगतसिंह के नाम पर लिखा गया 'जगत विनोद' उनका सर्वाधिक प्रसिद्ध ग्रन्थ है।


अन्य रचनाएँ -
राम -रसायन , पद्माभरण , प्रबोध-पचासा, जयसिंह विरूदावली, प्रतापसिंह विरूदावली, ईश्वर पचीसी , यमुना लहरी, कलिपचीसी , अश्वमेध , हितापदेश, आलीजाह प्रकाश, 'गंगा लहरी' तथा 'राग रसायन' आदि। ' गंगा लहरी ' उनकी अंतिम काव्य रचना मानी जाती है |

 

 

 3. मध्य प्रदेश के प्रमुख आधुनिक साहित्यकार Madhya Pradesh Ke Pramukh Adhunik Sahityakar


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1. पंडित माखनलाल चतुर्वेदी -

पंडित माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म म. प्र. के नर्मदापुरम (होशंगाबाद) जिले के माखननगर (बाबई ) ग्राम में अप्रैल 1889 को हुआ | उनका परिवार राधा वल्लभ संप्रदाय का अनुयायी और वैष्णव था अतः उनकी आरम्भिक रचनाएं भक्ति भाव और आध्यात्मिकता से प्रेरित है | बाद में उन्होंने प्रभा, प्रताप, एवं कर्मवीर जैसे पत्रिकाओं का संपादन किया | उन्होंने अपनी पत्रकारिता और रचनाओं के माध्यम से युवाओं के मन में राष्ट्रीय चेतना का भाव जगाया | उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन संग्राम में भी सक्रिय रूप से भाग लिया और नव युवको को ब्रिटिश शासन के अत्याचारों के विरुद्ध लड़ने और उनका सामना करने को प्रेरित किया | इसलिए उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा |


प्रमुख रचनाएँ - हिमकिरीटिनी, हिमतरंगिणी, माता, युगचरण, मरण जवार, बीजुरी काजल आँज रही, धुम्रवलय ।

निबंध संग्रह - साहित्य देवता |

कहानी संग्रह - अमीर इरादे-गरीब इरादे

नाटक -  कृष्णार्जुनयुद्ध

बिलासपुर जेल में लिखी गयी प्रसिद्ध कविता - "पुष्प की अभिलाषा" |

अन्य रचनाएँ - कला का अनुवाद, कहानी और कहावत (कहानियाँ), समय के पांव (संस्मरण), चिंतक की लाचारी (भाषण संग्रह) आदि।



 

2. गजानन माधव मुक्तिबोध  -

श्री गजानन माधव मुक्तिबोध का जन्म म. प्र. के श्योंपुर जिले, में हुआ था। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख कवि ,साहित्यकार, इतिहासकार, और निबंधकार थे | उनके पिता का बार बार स्थानांतरण होता था इसलिए उनकी शिक्षा मध्यप्रदेश के अनेक स्थानों जैसे - उज्जैन, विदिशा, आदि में प्रारंभिक शिक्षा हुई। छायावाद के उत्तरकाल से संबंधित श्री मुक्तिबोध को "तार सप्तक" का प्रथम प्रतिष्ठित कवि माना जाता है।


प्रसिद्ध रचनाएँ - "चांद का मुँह टेढ़ा है" (कविता संग्रह) | "एक साहित्यिक की डायरी" (निबंध संग्रह) | नयी कविता का आत्म संघर्ष |

भारत -  इतिहास और संस्कृति | कामायनी - एक पुर्नविचार आदि।

कहानी संग्रह - सतह से उठता आदमी, काठ का सपना

उपन्यास - विपात्रा आदि ।

 

3. सुभद्राकुमारी चौहान - 

सुभद्राकुमारी चौहान का जन्म उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में हुआ था | सुभद्राकुमारी चौहान को बचपन से ही कविताओं एवं काव्य रचनाओं से लगाव था | वे मुख्य रूप से कवियत्रि थी पर उन्होंने अनेक कहानियो की भी रचना की | फिर भी उन्हें उनकी कविताओं के लिए ही जाना जाता है |

उनका विवाह ठाकुर लक्ष्मणसिंह के साथ हुआ था जो मध्य प्रदेश के खंडवा के निवासी थे | सुभद्रा जी राष्ट्रीय आंदोलनों का सक्रिय रूप से हिस्सा रही और इसी के चलते वे जेल भी गई | उनकी सबसे अधिक प्रसिद्ध और लोकप्रिय रचना उनकी कविता " झाँसी की रानी " थी | जिसने लोगो के मन में देशप्रेम की और राष्ट्र भक्ति की भावना को बढ़ाया |

सुभद्राकुमारी चौहान की प्रमुख रचनाएँ -

कहानी संग्रह - बिखरे मोती , उन्मादिनी , सीधे - साधे चित्र |

कविताएँ - झाँसी की रानी , खिलौनेवाला , यह कदम्ब का पेड़, वीरो का कैसा हो बसंत आदि |


4. हरिशंकर परसाई - 

हिंदी साहित्य जगत के प्रसिद्ध व्यंगकार और लेखक हरिशंकर परसाई का जन्म 1924 में मध्य प्रदेश के नर्मदापुरम जिले के जमानी ग्राम में हुआ था | उनकी व्यंग रचनाएँ भ्रष्टाचार , सामाजिक कुरूतियों एवं रूढ़िवादिता पर प्रहार करती है | उन्होंने साहित्यिक पत्रिका "वसुधा " का संपादन किया | उन्होंने अनेक कहानियो, उपन्यास एवं निबंधों की भी रचना की | फिर भी उन्हें एक व्यंगकार के रूप में ही जाना जाता है | 1982 में उन्हें उनकी प्रसिद्ध व्यंग रचना " विकलांग श्रद्धा का दौर " के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया |


निबंध संग्रह - वे मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध व्यंगकार थे | उनके प्रमुख निबंधो में - तुलसीदास चन्दन घिसे , तब की बात और थी, भूत के पोंव पीछे, बेईमानी की परत, पगडण्डियों का जमाना, सदाचार का ताबीज, शिकायत मुझे भी हैं। व्यंग्य निबंधो में वैष्णव की फिसलन, तिरछी रेखाए, ठिठुरता हुआ गणतंत्र, विकलांग श्रद्धा का दौर आदि प्रमुख है |

संस्मरण - तिरछी रेखाएँ | उपन्यास - रानी नागफनी की कहानी |

कहानी संग्रह - हंसतें हैं रोते हैं, जैसे उनके दिन फिरे।


5. बालकृष्ण शर्मा "नवीन" - 

बालकृष्ण शर्मा "नवीन" का जन्म मध्यप्रदेश के शाजापुर जिले में 8 दिसम्बर 1897 ई. में हुआ | वे म. प्र. के प्रसिद्ध लेखक ,कवि और कहानीकार थे | बालकृष्ण शर्मा अच्छे गद्यकार के साथ जागरूक पत्रकार थे उन्होनें 'प्रभा' और 'प्रताप' हिंदी साहित्यिक पत्रों का संपादन किया। उनकी काव्य रचनाओं में देश प्रेम और राष्ट्रीयता का भाव स्पष्ट दिखाई देता है | उन्होंने स्वतंत्रता के अनेक राष्ट्रीय आंदोलनों में और सत्याग्रहों में गाँधी जी के साथ अपनी सक्रिय भूमिका निभाई | कांग्रेस अधिवेशनो में भी भाग लिया |

बालकृष्ण शर्मा "नवीन" की प्रमुख रचनाएँ - राजनीतिक व्यस्तता के बावजूद नवीन जी ने अपनी साहित्यिक यात्रा को निरंतर जारी रखा | राष्ट्रीय आंदोलनों में भाग लेने के कारण उन्हें अनेक बार जेल जाना पड़ा किन्तु फिर भी कारावास में भी उन्होने अनेक रचनाएं की।

उर्मिला उनका महाकाव्य है, जबकि प्राणार्पण खण्डकाव्य ।
कविता संग्रह -
कुंकुम, रश्मि रेखा, अपलक, विनोबा स्तवन , हम विषपाई जन्म के।



6. शरद जोशी - 

शरद जोशी का जन्म म. प्र. के उज्जैन जिले में 21 मई 1931 को हुआ | वे हिंदी साहित्य जगता के प्रसिद्ध व्यंगकार और कहानीकार थे | उन्हीने कई टीवी धारावाहिक और फ़िल्मी संवाद भी लिखे |

शरद जोशी की प्रमुख रचनाएँ -

व्यंग्य निबंध - जीप पर सवार इल्लियां , यथासंभव , दुसरी सतह , फिर किसी बहाने ,राह किनारे बैठ ,पिछले दिनो मेरी श्रेठ व्यंग रचनाएँ |
नाटक - अन्धो का हाथी , एक था गधा |
उपन्यास - मै, मै और केवल मै
कहानी संग्रह - तिलिस्म |


7. अटल बिहारी वाजपेयी - 

अटल बिहारी वाजपेयी जी का जन्म म. प्र. के ग्वालियर जिले में 25 दिसम्बर 1924 को हुआ | वे हिंदी और ब्रज भाषा के कवि थे | उन्हें काव्य रचना शीलता के गुण विरासत में मिले | उनकी रचनाओं में राष्ट्रवादिता और देशभक्ति की झलक साफ दिखाई देती है | उनकी प्रमुख रचनाओं में " कैदी कविराई कुण्डलिया " कविता शामिल है जो उन्होंने आपातकाल के समय लिखी थी | भारत के प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने म. प्र. का गौरव बढ़ाया |

अटल बिहारी वाजपेयी जी की प्रमुख रचनाएँ - कविता संग्रह - रग -रग हिन्दू मेरा परिचय , मेरी इक्यावन कविताएँ , राजनीती की रपटीले राहे |


8. मूल्ला रमूजी - 

मूल्ला रमूजी का जन्म म. प्र. के भोपाल में 1896 को हुआ था | वे उर्दू साहित्य जगत के प्रसिद्ध साहित्यकार थे ,जो अपने हास्य व्यंग शैली के लिए जाने जाते थे | उर्दु अकादमी ने अपने भवन का नाम मुल्ला रमूजी के नाम पर रखा है।


मूल्ला रमूजी की प्रमुख रचनाएँ - मुल्ला रमूजी, गुलाबी उर्दु, गुलाबी शायरी इन्तिखाबे-गुलाबी उर्दु, मजमूआ गुलाबी उर्दु, मीकालात गुलाबी उर्दु, ख्वातीन अंगुरा, शादी, औरत जात, लाठी और भैंस, दीवाने मुल्ला रमूजी शिफाखाना, जिन्दगी |




4. मध्य प्रदेश के प्रमुख लोक साहित्यकार  Madhya Pradesh ke Pramukh Loksahityakar


1. संत सिंगाजी -

संत सिंगाजी का जन्म म. प्र. के बड़वानी जिले के खजुरी ग्राम में हुआ | वे डाक विभाग में नौकरी करते थे | इसके बाद उन्होंने सन्यास ले लिया और तपस्वी बन गये | उनके द्वारा गाये जाने वाले भक्ति गीतों को उनके अनुयायी लिपिबद्ध कर देते थे | उनके गीत आध्यात्मिक होते थे | वे म. प्र. के निमाड़ के प्रमुख संत है | जनजातिय लोग उन्हें अपना आराध्य मानते है और आज भी उनकी समाधी स्थल के पास प्रतिवर्ष मेला लगता है और परचुरी भजन गायन होता है | उन्हें कबीरदास जी का समकालीन माना जाता है |

संत सिंगाजी की रचनाएँ - बारहमासी , सातवार |

2. जगनिक - 

जगनिक नायक का जन्म 1230 का मन जाता है | वे कालिंजर के राजा परमर्दिदेव के दरबारी कवि और योद्धा थे |

जगनिक की रचनाएँ - जगनिक की सबसे प्रसिद्ध रचना "आल्हखंड " है | आल्हखंड कालिंजर के महान वीरो आल्हा - उदल की वीरता और शौर्य की गाथा है | इसमें 52 युद्धो का वर्णन है जो संसार की सबसे लम्बी लोकगाथा मानी जाती है |



3 .महाकवि ईसुरी - 

"फ़ाग"  ईसुरी की देन है | महाकवि ईसुरी बुंदेलखंड क्षेत्र के प्रसिद्ध कवि थे | उनके फ़ाग गीतो में प्रेम ,शृंगार का अद्भुत सजीव चित्रण है | इन फ़ाग गीतों का बुंदेली साहित्य में विशेष महत्व है जो होली के अवसर पर गाया जाता है |

महाकवि ईसुरी की रचनाएँ - फ़ाग चौकडिया , फ़ाग गीत |


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