Chandrayaan 3: India's Third Lunar Mission (2023) | इसरो मिशन - चंद्रयान 3 | भारत के चंद्रयान 3 ने रचा इतिहास |


चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3: India's Third Lunar Mission)

भारत के अंतरिक्ष संस्था ISRO का चन्द्रमा पर खोजबीन के लिए लांच किया गया यह तीसरा मिशन है | ISRO भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (Indian Space Research Organisation) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान है एवं इसका मुख्यालय बंगलौर में है। वर्तमान में इसरो प्रमुख S. सोमनाथ है | इसके पहले भी इसरो ने चन्द्रमा पर खोजबीन के लिए मिशन चंद्रयान 2 लांच किया था जो चन्द्रमा पर लैंडिंग में विफल रहा था | चंद्रयान 3 मिशन ,चंद्रयान-2 का अगला चरण है क्योंकि चंद्रयान-2 चन्द्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के बाद अंतिम समय में मार्गदर्शन सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के कारण सॉफ्ट लैंडिंग के प्रयास में विफल हो गया था | इसलिए इसरो ने सॉफ्ट लैन्डिंग का पुनः सफल प्रयास करने हेतु चंद्रयान 3 को लॉच किया है | निश्चित ही भारत का यह मिशन अन्तरिक्ष अनुसन्धान के क्षेत्र में एक बडी उपलब्धी के रूप में देखा जाएगा |




Chandrayaan 3: India's Third Lunar Mission (2023)




     चंद्रयान 3 (Chandrayaan 3: India's Third Lunar Mission)
7. अन्य देशो के लूनर मिशन
8. FAQ


1.इसरो मिशन - चंद्रयान 3 (ISRO Mission Chandrayaan 3)

चंद्रयान-3 का प्रक्षेपण आँध्रप्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से 14 जुलाई, 2023 शुक्रवार को भारतीय समय अनुसार दोपहर 2:35 बजे किया गया है। चंद्रयान-3 के नेतृत्व भारत की रॉकेट महिला रितु करिधल श्रीवास्तव महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है | चंद्रयान-3 का लॉन्चिंग रॉकेट 43.5 मीटर लम्बा है | चंद्रयान- 3, को LVM3 M4 (जिसे 'फैट ब्वॉय' कहा जाता है) के के द्वारा अंतरिक्ष में भेजा जाएगा | LVM3-M4 व्हीकल के द्वारा चंद्रयान 3 को Geosynchronous Transfer Orbits (GTO) में पहुंचाया जाएगा | अपनी इस यात्रा में चंद्रयान 3 लगभग 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा | चंद्रयान-3 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (Indian Space Research Organisation, ISRO) भारत का राष्ट्रीय अंतरिक्ष संस्थान का एक महत्वाकांक्षी मिशन है क्यूकिं इसकी सफलता के साथ ही भारत दुनिया में अमेरिका, रूस एवं चीन के बाद चौथी अंतरिक्ष शक्ति बन जाएगा | चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होने के बाद भारत एक नया इतिहास रच देगा। अगर चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग हो जाती है तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा। करीब 40 दिन का सफर तय करने के बाद चंद्रयान -3 की, 23 या 24 अगस्त तक चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग होगी | चंद्रयान 3 का बजट लगभग 615 करोड़ है |



ISRO MISSION CHANDRAYAAN 3



ISRO MISSION CHANDRAYAAN 3


2.चंद्रयान 3 का नवीनतम अपडेट (on 24 Aug 2023) भारत के चंद्रयान 3 ने रचा इतिहास -

भारतीय अंतरिक्ष के इस ऐतिहासिक चन्द्रयान 3 मिशन ने 23 अगस्त 2023 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 6. 04 मिनट पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लेंडिंग (soft lending) कर इतिहास रच दिया | यह संपूर्ण भारतवासियों के लिए एक ऐतिहासिक ख़ुशी और गर्व का पल था | भारत "चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव" पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लेंडिंग करने वाला पहला और चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लेंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है | चंद्रयान 3 ने लैंडर पोजिशन डिटेक्शन कैमरा (Lander Position Detection Camera) से चन्द्रमा की सतह की कई तस्वीरें और वीडियो भी साझा किये |


इसरो ने 1 अगस्त 2023 सबसे महत्वपूर्ण स्टेप्स में से एक ‘ट्रांसलूनर इंजेक्शन’ को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया था और चंद्रयान 3 ट्रांसलूनर ऑर्बिट (translunar Orbit) में पहुंचा गया | 17 अगस्त 2023 को लेंडर मॉड्यूल (lender module) प्रोपोशनल मॉड्यूल से अलग किया गया | इसके बाद चंद्रयान 3 और चन्द्रमा बीच की दूरी को कम करने के लिए धीरे धीरे कक्षा घटाने की प्रक्रिया शुरू की गयी इस प्रक्रिया को डीबूस्टिंग की प्रक्रिया कहा जाता है | 23 अगस्त 2023 चन्द्रयान 3 ने सॉफ्ट लैंडिंग सफलता पूर्वक पूरी की |


3. चंद्रयान का उद्देश -


इसरो ने चंद्रयान 3 के प्रमुख उद्देश निर्धारित किये है |

चंद्रयान 3 के लेंडर विक्रम को चन्द्रमा की सतह पर सुरक्षित एवं सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग करना चन्द्रमा पर रोवर प्रज्ञान की भ्रमण क्षमताओं का करना |

चन्द्रमा की सतह पर उपलब्ध प्राकृतिक तत्वों मिट्टी ,पानी एवं खनिजों आदि एवं रासायनिक तत्वों का वैज्ञानिक परीक्षण करना |

चन्द्रमा की सतह पर भूकंप आने के कारण का पता लगाना |

4. चंद्रयान 3 की संरचना -


4.1. प्रोपल्शन मॉड्यूल -


चंद्रयान -3 में एक लेंडर विक्रम, एक रोवर प्रज्ञान और एक प्रोपल्शन मॉडयूल लगा हुआ है  | इसका कुल भार लगभग 3900 किलोग्राम है | इस मिशन में चंद्रयान 3 का एक रोवर निकलेगा (जो एक छोटा सा रोबोट है) जो कि चांद की सतह पर उतरेगा और लुनर साउथ पोल में इसकी पोजिशनिंग होगी. यहीं पर रोवर इस बात की खोज करेगा कि चांद के इस हिस्से में उसे क्या-क्या ख़निज,पानी आदि मिल सकता है |

चंद्रयान-3 का लॉन्चिंग रॉकेट 43.5 मीटर लम्बा है | चंद्रयान- 3, को LVM3 M4 (जिसे 'फैट ब्वॉय' कहा जाता है) के जरिए ही अंतरिक्ष में जाएगा | अपनी इस यात्रा में चंद्रयान 3 लगभग 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी तय करेगा |


प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर के अतिरिक्त, चंद्रमा की कक्षा से पृथ्वी के वर्णक्रमीय (स्पेक्ट्रल) और पोलारिमेट्रिक माप का अध्ययन करने के लिए SHAPE (Spectro-polarimetry of Habitable Planet Earth) नामक एक पेलोड भी ले जा रहा है |


4.2. विक्रम लैंडर -


लैंडर पर तापीय चालकता एवं तापमान के मापन के लिए ChaSTE (Chandra’s Surface Thermophysical Experiment) का उपयोग किया गया है |

इसके अतिरिक्त लैंडिंग साइट के आसपास भूकंप की तीव्रता को मापने के लिए ILSA (Instrument for Lunar Seismic Activity) और Plasma घनत्व की विविधताओं का अनुमान लगाने के लिए Langmuir Probe (LP) भारतीय पेलोड को जोड़ा गया हैं।



4.3. प्रज्ञान रोवर -



लैंडिंग साइट के आसपास की सतह की तत्व संरचना का पता लगाने के लिए APXS (अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर) और Laser-induced breakdown spectroscopy (LIBS) नामक पेलोड को सम्मिलित किया गया है | लेजर प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी शक्तिशाली विश्लेषणात्मक तकनीक है इसका उपयोग किसी भी ठोस या तरल की सतह पर, या गैस या एयरोसोलिज्ड कणों के बादल के नमूना मात्रा में अत्यधिक ऊर्जावान लेजर पल्स को केंद्रित करके सामग्रियों का पता लगाने और लक्षणों का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है |


5. चंद्रयान मिशन का इतिहास


5.1) चंद्रयान-1


चंद्रयान-1, चंद्रमा के लिए भारत का पहला मिशन, 22 अक्टूबर 2008 को आँध्रप्रदेश के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शार, श्रीहरिकोटा से सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था। चंद्रयान-1 चंद्रमा के रासायनिक, खनिज एवं फोटो-भूगर्भिक मानचित्रण के लिए चंद्रमा की सतह से 100 किमी की ऊंचाई पर चंद्रमा के चारों ओर परिक्रमा कर रहा था। अंतरिक्ष यान में भारत, के अतिरिक्त अन्य देशो अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, स्वीडन एवं बुल्गारिया में निर्मित 11 वैज्ञानिक उपकरण भी थे। मिशन 29 अगस्त को समाप्त हुआ जब अंतरिक्ष यान के साथ संचार खो गया था |


प्रक्षेपण की तारीख - 22 अक्टूबर 2008

लॉन्च साइट - सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा

प्रमोचन भार - 1380 किलोग्राम

प्रक्षेपण यान - पीएसएलवी - सी11



उपलब्धि - इसरो ने चंद्रयान-1 में मौजूद अपने MIP (Moon Impact Probe) के द्वारा चन्द्रमा पर पानी की मौजूदगी का पता लगाया | चंद्रयान ने चांद पर पानी की मौजूदगी का पता लगाकर इस सदी की महत्वपूर्ण खोज की है। इसरो ने भी इसे सदी की सबसे महान उपलब्धि बताया | इसरो के अनुसार चन्द्रमा पर पानी समुद्र, झरने, तालाब के रूप में न होकर खनिज और चंट्टानों की सतह पर है।

5.2) चंद्रयान - 2


चंद्रयान -2 , चन्द्रमा की सतह पर पहुंचने का इसरो का यह दूसरा मिशन था | इसमें इसरो के पिछले मिशनों की तुलना में अधिक जटिल तकनीकी का प्रयोग हुआ था | इसे 22 जुलाई 2019 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा , आँध्रप्रदेश से लॉन्च किया गया था। इसे इसरो के बाहुबली जीएसएलवी मार्क 3 (GSLV Mark3,Geosynchronous Satellite Launch Vehicle) रॉकेट द्वारा लॉन्च किया गया था। इसके भी तीन हिस्से थे- ऑर्बिटर, लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान ।


20 अगस्त 2019 को चंद्रयान-2 को सफलतापूर्वक चंद्र कक्षा में स्थापित किया गया। किन्तु इस मिशन में लैंडर 'विक्रम' सात सितंबर, 2019 को 'सॉफ्ट लैंडिंग' का प्रयास करते समय ब्रेकिंग प्रणाली में गड़बड़ी की वजह से चंद्रमा की सतह पर गिर गया था।



उद्देश - चन्द्रमा की स्थलाकृति, भूकंप विज्ञान, खनिज पहचान और वितरण, चन्द्रमा की सतह की रासायनिक संरचना, शीर्ष मिट्टी की थर्मो-भौतिक विशेषताओं का अध्ययन करना | कमजोर चंद्र वातावरण की संरचना के विस्तृत अध्ययन करना |


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6. चंद्रयान 3 की सॉफ्टलैण्डिंग में इतना समय क्यू

 लग रहा है

 

अन्य देशो की तुलना में भारतीय स्पेस कंपनी ISRO को अधिक समय लग रहा है , जबकि अन्य देश जैसे अमेरिका ,चीन , एवं रूस को बहुत कम समय लगा | इसका कारण यह है कि ISRO के स्पेस प्रोजेक्ट्स अन्य देशो के मुकाबले सस्ते होते है | अन्य स्पेस एजेंसी जैसे NASA के पास बड़े एवं बहुत शक्तिशाली राकेट है जो सीधे ही चन्द्रमा के आवरण में प्रवेश कर सकते है | इसी तरह चीन और रूस के मिशन को भी बहुत काम समय लगा | ये बहुत मेंहँगे होते है और इसी कारण उनकी लागत और बजट काफी ज्यादा होता है | वे 4 दिनों में या 1 हफ्ते में चन्द्रमा की सतह में प्रवेश कर जाते है | इसरो के राकेट लॉन्चिंग की कीमत 500 करोड़ तक ही होती है जो अन्य देशो की तुलना में काफी कम है | स्पेसक्राफ्ट की सॉफ्टलैण्डिंग में धरती की गति एवं उसके गुरुत्वाकर्षण की मदद ली जाती है | धरती की गति का अंतरिक्ष यान या रॉकेट को लाभ मिलता है | राकेट या अंतरिक्ष यान अपनी कक्षा या ऑरबिट को बदलता रहता है | इसलिए चंद्रयान 3 को चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्टलैण्डिंग करने में इतना अधिक समय लग रहा है | अतः चंद्रयान 3 ,40 या 42 दिनों में अपने लक्ष्य तक पहुंचेगा |

 


Lunar Tranfer Trajectory ISRO mission chandrayaan 3




7. अन्य देशो के लूनर मिशन


1. चांगई-2 एवं चांगई-3 - 2010 में चीन ने चांगई-2 मिशन चंद्रमा पर भेजा था जो केवल चार दिन में चन्द्रमा पर पहुंच गया था. इसके बाद चीन का एक और मिशन चांगई-3 भी पहुंच गया था.


2. लूना मिशन - सोवियत संघ (रूस) द्वारा 2 जनवरी, 1959 को लूना-1 अंतरिक्ष यान भेजा गया था. यहीं से मून मिशन का प्रारम्भ माना जाता है | ये चंद्रमा के पास पहुंचने वाला पहला अंतरिक्ष यान था |


3. अपोलो-11 - अपोलो-11 का प्रक्षेपण July 19, 1969 को हुआ था | यह अमेरिका का लूनार मिशन है , जो चन्द्रमा तक चार दिनों में पहुंच गया था | चन्द्रमा पर सबसे पहले किसी मनुष्य (नील आर्मस्ट्रांग) ने कदम रखा था |



8. FAQ


प्रश्न - चंद्रयान-3 का मुख्य काम क्या होगा ?

उत्तर - चंद्रयान- 3 की चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करवाई जाएगी | रोवर प्रज्ञान इसरो में बैठे वैज्ञानिक को चन्द्रमा की सतह से जुड़ी जानकारियां भेजेगा। चन्द्रमा की सतह पर उपस्थित प्राकृतिक तत्वों जल , मिट्टी एवं खनिजों, रासायनिक तत्वों की जानकारी उपलब्ध करवाएगा |


प्रश्न - चंद्रयान-3 की लैंडिंग चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर ही क्यू की जा रही है ?

उत्तर - चंद्रयान-3 को साउथ पोल पर उतारा जाएगा | चन्द्रमा का साउथ पोल ,नार्थ पोल से ज्यादा बड़ा है और यह पानी होने की भी संभावना है | यहीं पर शैडो एरिया भी दिखाई देता है | यदि चन्द्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक लैंडिंग हो जाती है तो भारत दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करने वाला दुनिया का पहला देश बन जाएगा |


प्रश्न - चंद्रयान-3 का बजट कितना है ?

उत्तर - चंद्रयान-3 का बजट लगभग 615 करोड़ रूपए है |


प्रश्न - चंद्रयान 3 , चन्द्रयान 2 से किस प्रकार भिन्न है ?

उत्तर - चंद्रयान 2 में 1 कैमरा लगाया गया था जबकि चंद्रयान 3 में 2 कमेरों को प्रयोग किया गया है | इस मिशन में Lander Hazard Detection और Avoidance Cameras का use किया गया है |


प्रश्न - चंद्रयान 3 को किस राकेट लॉन्च किया गया है ?

उत्तर - चंद्रयान 3 को LVM3-M4 रॉकेट के द्वारा लॉन्च किया हैं | इसे जियोसिन्क्रोनस सैटलाइट लॉन्च वीइकल-मार्क3 ( GSLV-Mk3) भी कहा जाता है | ये इसरो के सबसे भारी रॉकेट्स में से एक है |

प्रश्न - LVM3-M4 क्या है ?

उत्तर - LVM3-M4 (Launch Vehicle Mark-3 or LVM3) भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संस्थान द्वारा विकसित एक 3 चरणों वाला मध्यम लिफ्ट लॉन्च वाहन है | इसे ISRO का बाहुबली भी कहा जाता है |

प्रश्न - 2023 में इसरो के प्रमुख कौन है ?

उत्तर - 2023 में ISRO के प्रमुख वरिष्ठ भारतीय वैज्ञानिक S . सोमनाथ है |

प्रश्न - चंद्रयान 3, चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कितने दिनों होगी ?

उत्तर - भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का ऐतिहासिक मिशन, चंद्रयान-3, 40 दिनों से अधिक की यात्रा के बाद चंद्रमा पर पहुंचेगा।


प्रश्न - चंद्रयान 3 ने चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लेंडिंग कब पूरी की ?

उत्तर - 23 अगस्त 2023 को चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर 6.04 मिनट पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लेंडिंग (soft lending) कर इतिहास रच दिया | इसी के साथ इसरो का चन्द्रमा की सतह पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लेंडिंग सपना भी पूरा हो गया | भारत "चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव" पर सफलता पूर्वक सॉफ्ट लेंडिंग करने वाला पहला और चन्द्रमा की सतह पर सॉफ्ट लेंडिंग करने वाला चौथा देश बन गया है |


प्रश्न - लूना 25 (Luna 25) किस देश का चन्द्रमा मिशन है ?

उत्तर - लूना 25 (Luna 25) रूस(Russia) का चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लेंडिंग मिशन है |


प्रश्न - लूना 25 कब लांच किया गया ?

उत्तर - लूना 25 अंतरिक्ष यान को रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रासकास्माज(ROSCOSMOS) ने 10 अगस्त 2023 को लांच किया था। इस मिशन को लूना ग्लोब नाम दिया गया |


प्रश्न - चांगई-2 एवं चांगई-3 किस देश का चन्द्रमा मिशन है ?

उत्तर - चांगई-2 एवं चांगई-3 चीन का चन्द्र मिशन है | 2010 में चीन भेजा था ने चांगई-2 मिशन चंद्रमा पर जो केवल चार दिन में चन्द्रमा पर पहुंच गया था. इसके बाद चीन का एक और मिशन चांगई-3 भी 2013 में भेजा था |





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